पुष्कर शहर का सबसे प्रमुख गंतव्य स्थल माने जानी वाली ये झील इस सुंदर शहर को पहचान है। झील मछली एवं अन्य जलीय जीवन की विभिन्न प्रजातियों का घर है। झील के आस पास 500 से अधिक बड़े और छोटे मंदिर झील हैं।
पुष्कर झील के करीब स्थित ब्रह्मा मंदिर है, जो शहर के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह दुनिया के उन कुछ मंदिरों में से एक है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित हैं। 14वीं शताब्दी के मंदिर में लाल रंग का एक विशिष्ट शिखर है।
रत्नागिरी पहाड़ी के ऊपर स्थित सावित्री मंदिर के साथ कई दिलचस्प कहानियां जुड़ी है जो तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहां देवी सावित्री एक बार आई थीं और अपने पति सत्यवान परेशान होकर यहा विश्राम किया था।
पुष्कर का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन मंदिर, वराह मंदिर 12 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। आज यह मंदिर बीते युग की स्थापत्य भव्यता का एक उत्कृष्ट प्रमाण है।
पुष्कर झील से लगभग ३ किलोमिटर दूर स्थित ये मंदिर शहर के पूर्वी भाग में है। ये मंदिर पांचों पांडव भाईयो द्वारा बनाया गया था।
देवी एकादशी माता की अध्यक्षता में, पाप मोचीनी मंदिर अनुयायियों को उनके पापों से मुक्ति प्रदान करता है। शहर के उत्तरी भाग में स्थित यह मंदिर पुष्कर के मुकुट में मोती के समान सज्जित है।
पुष्कर का एक लोकप्रिय भव्य और विशिष्ट स्थल है ये मंदिर। मंदिर भगवान रंगजी को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला में दक्षिण भारतीय शैली, राजपूत शैली एवं मुगल शैली का प्रभाव देखने को मिलेगा।
पुष्कर का सबसे प्रसिद्ध और विश्व प्रचलित मेला, ऊंट मेला(स्थानीय लोग इसे कार्तिक मेला भी बोलते है) हर साल २३ अक्टूबर को शुरू होता है और दुनिया भर से लोगो को आकर्षित करता है।